ISRO ने एक बार फिर कुछ ऐसा कर दिखाया है जिससे पूरी दुनिया हैरान है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को वापस धरती की ऑर्बिट में बुलाकर ये साबित कर दिया कि वह अपने किसी भी स्पेसक्राफ्ट को मून की ऑर्बिट से वापस भी ला सकता है. बुधवार को ISRO की इस सफलता पर गदगद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर ISRO को बधाई दी.
सोशल मीडिया पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा कि- ‘बधाई हो ISRO. हमारे भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों में एक और तकनीकी मील का पत्थर हासिल हुआ, इसमें 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय को भेजने का हमारा लक्ष्य भी शामिल है.’ पीएम मोदी ने इस पोस्ट के साथ उस पोस्ट को भी शेयर किया जिसे ISRO ने प्रोपल्शन मॉड्यूल के वापस धरती की ऑर्बिट में आने की जानकारी देते वक्त शेयर किया था.
ISRO ने किया ये कारनामा
चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल अब तक चांद की ऑर्बिट के चक्कर लगा रहा था. ISRO ने इस प्रोपल्शन मॉड्यूल से नया प्रयोग किया और इसे धरती की ऑर्बिट में वापस बुला लिया. ISRO ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी और ये बताया कि इस मॉड्यूल में एक SHAPE पेलोड लगा है, जिससे धरती के बारे में डाटा जुटाया जाएगा. बता दें कि SHAPE पेलोड को तीन माह के लिए एक्टिव किया जाएगा. हालांकि प्रोपल्शन मॉड्यूल अगले कई सालों तक काम करता रहेगा और ISRO के अगले मिशनों में काम आएगा.
ये होगा फायदा
प्रोपल्शन मॉड्यूल का SHAPE लगातार काम कर रहा है. माना जा रहा है कि इसके धरती के ऑर्बिट में वापस आने से ISRO को कई फायदे हुए हैं. इसके जो सबसे बड़ी सफलता है वह यह है कि पहली बार ISRO चांद के ऑर्बिट से धरती के ऑर्बिट तक अपना कोई यान वापस लाया है. इसके लिए जिस तरह की प्लानिंग की गई और उसे अंजाम तक पहुंचाया गया यह भविष्य में बड़ा काम आने वाला है. इससे अन्य ग्रहों की ग्रैविटी का पता चलने के साथ-साथ ऑर्बिट बदलने की प्रक्रिया के बारे में भी ISRO को जानकारी होगी. इसके अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल के अन्य ग्रहों से टकराने की संभावना खत्म हो जाएगी, क्योंकि ये पूरी तरह ISRO के नियंत्रण में रहेगा.
17 अगस्त से अगले काम कर रहा प्रोपल्शन मॉड्यूल
चांद की ऑर्बिट में प्रोपल्शन मॉड्यूल पिछले 17 अगस्त से अकेले काम कर रहा है. यह 17 अगस्त को ही विक्रम लैंडर से अलग होता था. इसके बाद विक्रम लैंडर ने लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और 23 अगस्त को चांद पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग का इतिहास रच दिया था. प्रज्ञान रोवर ने जितने दिन पर चांद पर काम किया, उसकी जानकारी प्रोपल्शन मॉड्यूल के माध्यम से ही धरती तक भेजी थी.